- परिचय
- लक्ष्य
- संकल्पना
- उद्देष्य
- विशेषताएँ
- जैविककृषि के लिए केन्द्र की गतिविधियाँ
- वार्षिक प्रतिवेदन
- समाचार पत्र
- कृषक भ्रमण
परिचयः-
श्री रामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान एव प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना गोयल ग्रामीण विकास संस्थान कोटा के द्वारा जैविक कृषि के विकास हेतु की गई। इस केन्द्र का माॅडल फार्म राजस्थान जैविक प्रमाणीकरण संस्थान जयपुर द्वारा पंजीकृत है।जो कि राष्ट्रीय स्तर पर उपलब्ध व स्वीकार्य सर्वश्रेष्ठ तकनीकों को किसानो को देने के लिए कृत संकल्पित है। यहा पर कृषि की प्राचीन व पारम्परिक विधियों पर शोध कार्यों को आधुनिकतकनीकी से सामंजस्य बैठा कर प्रकृति, पर्यावरण वजीवजगत के संरक्षण के साथ-साथ कम लगत में गुणवत्ता युक्तकृषि से किसानों की आय में वृ़िद्ध तथा मानव शरीर को स्वस्थ एवं भर पूर ऊर्जा युक्त बनाए रखने के लिए विभिन्न सहज व सरल आयामों की स्थापना कर उत्कृष्ट माॅडल तैयार कर रहे हैं।
लक्ष्य :-
जैविक कृषि के क्षेत्र में द्रुत गति से संवर्धन करना ताकि उसका भविष्य उज्जवल व दूरगामी हो। जैविक कृषि के विकास में लगे किसानों व उद्यमियों को तकनीकी कुशलता एवं आधुनिकतम प्रौधोगिकी साधनों से सुसज्जित करना, जिस में बाजार योग्य जैविक फसल में न केवल गुणवत्ता की दृष्टि से अपितु मात्रा की दृष्टि से भी सुधार हो, साथ ही इस क्षेत्र में वाणिज्यक और अंतराष्ट्रीय स्तर की विपणन संभावनाओं का पता लगाकर जैविक कृषि क्षेत्र को पूरा-पूरा लाभ दिलाना ही हमारा दूरगामी लक्ष्य है।
संकल्पना :-
जैविक कृषि के क्षेत्र में एक अन्र्तराष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्ट केन्द्र के रुप में अपनी पहचान बनाना जिसमें समग्र रुप से सहभागिता एवं सहयोग के आधार पर ऐसे समाध्षान प्रस्तुत किये जायेगे जिनके फलस्वरुप जैविक कृषि के क्षेत्र का निश्चित रुप से सतत् व दीर्घकालीन विकास का मार्ग तो प्रषस्त होगा ही साथ ही जैविक खेती के द्रुत विकास की दिषा में यह केन्द्र अनुषासित एवं नियमबद्ध उत्प्रेरक के तौर पर उभर कर सामने आयेगा, जिसका महत्व न केवल क्षेत्रीय या राष्ट्रीय बल्कि अन्र्तराष्ट्रीय स्तर का भी होगा।
उद्देष्य :-
- जैविक कृषि में गो को मूल आधार मानते हुए उनके संवर्धन एवं संरक्षण हेतु गौधन से प्राप्त पंचगव्य के अनन्य उपयोग द्वारा जैविक खाद, जैविक दवाईयाँ आदि तैयार करने की सरल व सुलभ विधियाँ तैयार करना । नर गौ वंश के कृषि में उपयोग हेतु जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करना, नस्लसुधार, स्वदेशी चिकित्सा के साथ संतुलित आहार से दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के द्वारा आर्थिक रुप से व्यावहारिक बनाना।
- केन्द्र पर स्थापित प्रयोग शालाओं के माध्यम से प्रत्येक विषय पर गहन शोध व अध्ययन करके किसानों को प्रशिक्षण देकर जैविक कृषि का विस्तार करना।
- आत्मनिर्भर कृषि हेतु बुवाई से बाजार तक की व्यवस्था खेत पर बनाने का प्रयास। इसमें खाद, बीज, दवा, पानी आदि की व्यवस्थाओं के संग कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण के माध्यम सेमूल्य संवर्धन द्वारा कृषि को रोजगार युक्त बनाना।
- केन्द्र द्वारा उन्मुक्त प्रशिक्षण व्यवस्था से कृषकों को प्रशिक्षण देकर इस तरह के माॅडल तैयार करने में सहयोग करना, जिससे जैविक कृषि का विस्तार हो सके।
विशेषताएँ :-
- 6.4 हेक्ट्रेयर जमीन पर विविधता एवं आधुनिक व्यवस्थाओं से युक्त माॅडल फार्म।
- सैकड़ों तरह के पेड़-पौधे, वनस्पतियां, जीव-जन्तुपशु-पक्षियों के संग स्वच्छ तालाब, सुन्दर हर्बल वाटिका एवं सस्ते नवाचार यहां का प्रमुख आकर्षण है।
- बूंद-बूंदपानी (अर्थात् जलसंरक्षण) व इंच-इंच भूमिका सदुपयोग।
- गो-संवर्धन व संरक्षण हेतु सुन्दर स्वास्तिक आकार का गौ-गृह।
- आधुनिक व्यवस्थाओं से युक्त अकादमि कभवन एवं मिट्टी, पानी, दवाई, खाद, कीट व रोग विज्ञान की प्रयोगशाला।
- फसल विविधता के निमित यहां पर फूल, फल, साग-सब्जी, अनाज, तिलहन, दलहन, मसाला, औषधीय व सुगन्धित फसलें, चारा फसलें, वानिकी फसलों का मौसम अनुसार निरन्तर उत्पादन।
- बुवाई से बाजार तक खेत आधारित व्यवस्थाओं का संगम बनाने हेतु (परम्परागत/स्वदेशी/उन्नत) बीज बैंक, खाद एवं दवाईयां हेतु भिन्न-भिन्न इकाईयाँ।
- जैविक कृषि उत्पादन प्रोत्साहन के साथ प्रोसेसिंग हेतु ग्रेडिंग, पैकेजिंग, लेबलिंग, मार्केटिंग आदि के प्रशिक्षण हेतु भवन।
जैविककृषि के लिए केन्द्र की गतिविधियाँ :-
- प्रमाणीकरण हेतु प्रेरितकरना, सम्बन्धित संस्थाओं की सहायता करना।
- किसान वैज्ञानिक संवाद।
- कौशल विकास व रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण।
- पशु स्वास्थ्य व नस्ल सुधार के प्रयोग।
- जैविककृषि के साहित्य की रचना, वितरण एवं प्रचार-प्रसार।
- संस्थागत व गैरसंस्थागत-दीर्घकालीन और अंशकालीन प्रशिक्षण।
- स्वदेशी व उन्नतबीज की उपलब्धता एवं संवर्धन हेतु कार्यक्रम करवाना।
- स्वयं सहायता समूह और किसान उत्पादक संगठनों की रचना।
- प्रगतिशील जैविक कृषकों को कल्चर निःशुल्क उपलब्ध करवाना।
- तकनीकी सहयोग हेतु किसानों के यहां जाकर अभ्यास वर्ग, मासिक बैठकें, ग्राम चैपाल इत्यादि के माध्यम से प्रेरित करना।
- किसानों को मौसम पूर्वानुमान की सूचनाएँ व मौसम आधारित कृषि तकनीक की जानकारी भिन्न-भिन्न माध्यमो से देना।