इनोवेशन

मल्टी लेयर फार्मिग (बहु स्तरीय कृषि) :-

उद्देश्य – बढ़ती हुई जनसंख्या और घटते हुए कृषि जोत को ध्यान रखते हुए किसान की आमदनी को बढ़ाने हेतु स्थानीय व्यवस्था अनुरूप माॅडल का सृजन करना।
प्रयोग क्रमांक 1 – रेज्ड बेड माॅडल से मल्टी लेयर फार्मिग – बहु स्तरीय कृषि इस माॅडल में बहु स्तरीय खेती के साथ दूसरा लाभ यह भी है अधिक जल भराव के क्षेत्र में भी बगीचा स्थापना की गई है। क्योंकि कुछ खेत ऐसे है जहाँ जल भराव एक मुख्य समस्या है, वहाँ बड़ी बड़ी बेड़ बना कर बेड़ पर फलदार पेड़ लगा कर आसानी से फलोत्पादन लिया जा जाएगा कुछ खेत ऐसे भी है जहाँ भूमि में नीचे पत्थर की चटाने वर्ग आदि है तो वहाँ यह विधि बेहतरीन विकल्प के रूप में काम कर रही है।
विधि – खेत को समतल करके बगीचा स्थापना हेतु आवश्यक विधि जैसे वर्गाकार विधि, या अन्य विधि से नक्शा तैयार करे, रेखाकन 2 मीटर चैड़ी, 1 मीटर गहरी खाई लँम्बाई आवश्यकता अनुरूप रखते हुए खोद कर खाई की मिट्टी दोनो ओर बराबर मात्रा में रखी जाती है। मिट्टी इस तरह डाली जाती है कि मेड़-बेड़ की चैड़ाई 2 मीटर व ऊँचाई 1 मीटर रहे। इस तरह बेड़ की रचना करके बगीचा लगाया जाता है लेकिन हमारे केन्द्र पर अन्यत्र जगह से मिट्टी आसानी से उपलब्ध होने की वजह से उक्त बेड़ बिना खाई खोदे तैयार की गई है।

रेज्ड बेड माॅडल (संतरे का बगीचा) :-

उद्देष्य- अधिक जल भराव के क्षेत्र में बगीचा स्थापना।
तकनीक- कुछ खेत ऐसे होते है जहाँ जल भराव एक मुख्य समस्या है, वहां बड़ी बड़ी बेड़ बना कर बेड़ पर फलदार पेड़ लगा कर आसानी से फलोत्पादन किया जा सकता है। कुछ खेत ऐसे भी होते है जहाँ भूमि में नीचे पत्थर की चट्टाने बगैरह हो तो वहाँ यह विधि बेहतरीन विकल्प के रूप में काम करती है लेकिन इस विधि के लिए मिट्टी अन्यत्र ऊँची जगह से लानी होती है।
विधि- खेत को समतल करके बगीचा स्थापना हेतु आवश्यक विधि जैसे वर्गाकार विधि, या अन्य का नक्शा तैयार करे, रेखांकन करे। अब 2 मीटर चैड़ी, 1 मीटर गहरी खाई लँम्बाई आवश्यकता अनुरूप रखते हुए खोदे। खाई की मिट्टी दोनों ओर बराबर मात्रा में रखे। मिट्टी इस तरह डालें कि मेड व बेड की चैड़ाई 2 मीटर व ऊँचाई 1 मीटर रहें। इस तरह बेड की रचना करके बगीचा लगा सकते है।
विषेष बात – केन्द्र पर कहीं अन्यत्र जगह से मिट्टी उपलब्ध होने के कारण उक्त बेड बिना खाई खोदें भी तैयार की गयी है।
सावधानी – बेड के मध्य के जल भराव का निकास ठीक से होना जरूरी है अन्यथा नुकसान की सम्भावना रहती है।
अनन्य प्रयास – इस माॅडल में हम बहु स्तरीय खेती कर रहे है, मुख्य फसल संतरा, किन्नू आदि है तो इसके ठीक नीचे शतावर या स्थानीय औषधि फसल, शतावर के मध्य स्टीविया, बेड के किनारे पर कन्द वर्गीय सब्जी जैसे अरबी, रतालू, जमीकन्द, आदि लगाई है, इसी तरह दो बेड या मेड़ के मध्य 2 मीटर खाली जगह पर खस लगाई है।

केन्द्र द्वारा निर्मित माधव माॅडल (बाँस निर्मित नर्सरी) :-

उद्देष्य – कम लागत में स्थानीय व्यवस्था के माध्यम से आधुनिक, टिकाऊ, आकर्षक नर्सरियों का सृजन करना ताकि गाँव का किसान आसानी से स्वस्थ पौधें बना सके व भूमिहीन किसान अन्य कृषकों के लिए नर्सरी तैयार कर के रोजगार सृजन कर सके।
क्षेत्रफल – 50 फीट लँम्बा, 20 फीट चैड़ा
ऊँचाई – साइड़ से 8 फीट, मध्य से 10 फीट
आवष्यक सामग्री – मजबूत बाँस, कोलतार (डामर) लोहे के पाइप, नट-बोल्ट, कट्टर मशीन या हस्त चलित कट्टर, ड्रिल मशीन या हस्त चलित उपकरण, 40ग75 फीट – 75 प्रतिशत न्ट ग्रीन शेड़नेट, रस्सी, खूँटे, फावड़ा, तगारी, गैंती, हरा रंग, ब्रश।
विधि – सर्वप्रथम सभी बाँस को रेजमाल से रगड़ कर सावधानीपूर्वक साफ करें, ध्यान रहें बाँस में कोई छेद न हो, दरार न हो, और कोई साइड़ फुटान न हो, ताकि नेट फटे नही। साइड़ व मध्य में खडें़ करने में काम आने वाले सभी बाँस को 2.5 फीट तक कोलतार (डामर) में डूबा दे, ताकि दीमक न लगे, पानी से गलन न हो। फिर आवश्यकता अनुरूप सभी जगह पर छेद कर दे ताकि नट बोल्ट कसा जा सके।
अब निम्नलिखित व्यवस्था अनुरूप नर्सरी के लिए ढ़ाँचा खड़ा करे
ऊँचाई में खडे़ बाँस हेतु 10 फीट लँम्बाई (2 फीट भाग जिस पर कोलतार या डामर लगा है उसको जमीन में गाड़ दिया जाएगा) के 12 नग को दोनों तरफ काम ले।
मध्य में खडे़ बाँ हेतु 12 फीट लँम्बाई (2 फीट डामर लगे भाग को जमीन में गाड़ दिया जाएगा) के 6 नग काम में ले।
दोनों तरफ के खडे़ बाँस को जोड़ने हेतु 10 फीट लँम्बाई के 10 नग जो 5ग5 दोनों तरफ काम में ले।
मध्य में खड़े बाँस को जोड़ने हेतु 10 फीट लँम्बाई के 10 नग जो 5 ऊपर (10 फीट ऊँम्बाई पर) 5 नीचे 8 फीट ऊँचाई पर काम ले, 4 तिरछे वी आकार में दोनों तरफ के बाँस को मध्य के बाँस से जोड़ने हेतु 10 फीट लँम्बाई के 12 नग (5ग5 दोनों ओर) काम आएंगे।
तिरछे वी आकार में जुडे़ बाँस के ठीक नीचे भी दोनों तरफ के बाँस को मध्य के बाँस को मध्य के बाँस से जोड़ने हेतु 10 फीट लँम्बाई के 10 नग (5ग5 दोनों ओर) काम आएंगे।
उक्त सभी एक दूसरे बाँस को जाड़ने हेतु लोहे के पाईप के ऐसे साँचे बना ले वेल्डिंग से, कि सभी बाँस उसमें एक दूसरी तरफ अन्दर फंस सके। सभी बाँस को जोड़ने के बाद नट बोल्ट से कस ले। इस तरह ये एक ढ़ाँचा तैयार हो जाएगा। अब उक्त ढ़ाँचे से 3 फीट दूर चारों और 2 फीट गहरी खाई खोद ले।
अब सबसे पहले 40 फीट चैड़ी, 50 फीट लँम्बी नेट को इस ऊपर ढ़की गयी नेट को 2ग2 फीट दोनों तरफ खाई में दबा दे। ध्यान रहे एक तरफ दरवाजा जरूर रखे, ताकि आवागमन आसान हो सके। दरवाजा 4 फीट चैड़ा रखें अब यदि आसपास कहीं ड्रिप इकाई लगी है तो ऊपर फोगर्स जोड़ सकते है। इस तरह यह माधव माॅडल तैयार होगा।
सावधानी – जिस जगह नर्सरी बना रहें है वो जगह जल भराव वाली न हो, अर्थात् उठी हुई हो। बाँस उपयोग करते समय ध्यान रहें मजबूत बाँस ही उपयोग करें, अन्यथा तेज हवा से टूटने का भय रहेगा व तेज गर्मी में फटने की आशंका रहती है। कार्य करते समय पूर्ण सावधानी बरतें। गड्ढे में बाँस खडे़ करते समय मजबूती से अन्दर गिट्टी आदि डाले, अन्यथा ढीला रह सकता है। बोल्ट को कस के लगाएं नहीं तो ढीले होने के बाद पूरी नर्सरी खराब होने की आशंका रहेगी।

केषव माॅडल (बाँस निर्मित सस्ता सोलर ड्रायर) :-

उद्देष्य – कम लागत में स्थानीय व्यवस्था के माध्यम से आधुनिक, टिकाऊ, आकर्षक सोलर ड्रायर का सृजन करना ताकि गाँव का किसान आसानी से अपने उत्पाद फल, सब्जी, औषधि आदि का मूल्य संवर्धन करने हेतु कृषि उत्पाद को सुखा सके व भूमिहीन किसान अन्य कृषकों के यहाँ ऐसे ड्रायर तैयार कर के रोजगार सृजन कर सके।
क्षेत्रफल – 20 फीट लँम्बा, 15 फीट चैड़ा
ऊँचाई – साइड से 10 फीट, मध्य से 12 फीट
आवष्यक सामग्री – मजबूत बाँस या लोहे के पाइप, कोलतार (डामर) नट-बोल्ट, कट्टर मशीन या हस्त चलित कट्टर, ड्रिल मशीन या हस्त चलित उपकरण, टर्बो फैंन 1, 40ग50 फीट 200 गेज की पारदर्शी प्लास्टिक शीट (जो पाॅली हाउस में उपयोग की जाती है), जिगजैग वायर 50 मीटर, प्रोफाइल (जिससे पोली फिल्म डालकर ऊपर जिग जेग वायर डाला जाता है) 50 मीटर, गिट्टी, सीमेन्ट, पत्थर, रस्सी, खूंटे, फावड़ा, तगारी, गैंती हरा रंग, ब्रश, लोहे का दरवाजा।
विधि – सर्वप्रथम ड्रायर हेतु चयनित जगह को साफ करके वहाँ नीचे गिट्टी सीमेन्ट से मजबूत पर्स का निर्माण करे। उपयोग में यदि बाँस काम आते है तो काम आने वाले सभी बाँस को रेजमाल से रगड़ कर सावधानी पूर्वक साफ करें, ध्यान रहे बाँस में कोई छेद न हो, दरार न हो और कोई साइड़ फुटान न हो, ताकि नेट फटे नहीं। यदि लोहे के पाईप काम लेते है तो 1 इंच से ज्यादा मोटा पाइप काम में ले।
साइड़ व मध्य में खडे़ करने में काम आने वाले सभी बाँस को 2.5 फीट तक कोलतार (डामर) में डूबा दें, ताकि दीमक न लगे, पानी से गलन न हो। फिर आवश्यकता अनुरूप सभी जगह पर छेद कर दे ताकि नट बोल्ट कसा जा सके। अब सभी बाँस या पाईप पर रंग कर दे ताकि बाँस धूप से फटे नहीं और ड्रायर आकर्षक भी लगे।
अब निम्नलिखित व्यवस्था अनुरूप नर्सरी के लिए ढ़ाँचा खड़ा करे
ऊँचाई में खडे़ बाँस या पाईप हेतु 12 फीट लँम्बाई (2 फीट भाग जिस पर कोलतार या डामर लगा है उसको जमीन में गाड़ दिया जाएगा) के 8 नग को दोनों तरफ काम ले।
मध्य में खडे़ बाँस या पाईप हेतु 14 फीट लँम्बाई (2 फीट डामर लगे भाग को जमीन में गाड़ दिया जाएगा) के 4 नग काम में ले।
दोनों तरफ के खड़े बाँस या को जोड़ने हेतु 5 फीट लँम्बाई के 8 नग जो 4-4 दोनों तरफ काम में ले।
मध्य में खड़े बाँस को जोड़ने हेतु 5 फीट लँम्बाई के 8 नग जो 4 ऊपर (12 फीट ऊँचाई पर) 4 नीचे 10 फीट ऊँचाई पर काम ले। 4 तिरछे वी आकार में दोनों तरफ के बाँस को मध्य के बाँस या पाईप से जोड़ने हेतु 15 फीट लँम्बाई के में यू आकार के पाईप 4 नग काम में आएंगे।
यू आकार में जुडे़ बाँस या पाईप के ठीक नीचे भी दोनों तरफ के बाँस या पाईप को मध्य के बाँस से जोड़ने हेतु 7.5 फीट लँम्बाई के 8 नग (4-4 दोनों ओर) काम आएंगे।
मध्य के सिस्टम ऐ टर्बो फेन लगाना है, इस हेतु जगह छोड़ना आवश्यक है।
उक्त सभी एक दूसरे बाँस या पाईप को जोड़ने हेतु लोहे के पाईप से ऐसे साँचे बना ले वेल्डिंग से, कि सभी बाँस या पाईप उसमें एक दूसरी तरफ अन्दर फंस सके। सभी बाँस या पाईप को जोड़ने के बाद नट बोल्ट से कस ले। ऊपर के पूरे ढाँचे के चारों ओर व मध्य में एवं नीचे के ढाँचे के पाईप को केवल चारों ओर प्रोफाइल कवर को सेल्फ स्क्रू के माध्यम से कस ले। इस तरह ये एक ढाँचा तैयार हो जाएगा।
अब सबसे पहले 10 फीट चैड़ी, 20 फीट लम्बी पाॅली को इस ऊपर ढाँचे पर एक तरफ की और लगी प्रोफाइल में जिगजेग वायर की सहायता से कस ले, ऐसे ही दूसरी तरफ, ऊपर नीचे आदि जगह पर पोली फिल्म को जिगजैग वायर के सहयोग से प्रोफाइल में कस ले। ध्यान रहे एक तरफ दरवाजा जरूर रखें, ताकि आवागमन आसान हो सके। दरवाजा 4 फीट चैड़ा रखे। इस तरह यह केशव माॅडल तैयार होगा।
सावधानी – जिस जगह जल भराव वाली न हो, अर्थात् उठी हुई हो, बाँस या पाईप उपयोग करते समय ध्यान रहे मजबूत बाँस या पाईप ही उपयोग करें, अन्यथा तेज हवा से टूटने या मुड़ने का भय रहेगा व बाँस तेज गर्मी में फटने की आशंका रहती है। कार्य करते समय पूर्ण सावधानी बरतें। गड्ढे में बाँस या पाईप खडे़ करते समय मजबूती से अन्दर गिट्टी आदि डाले, अन्यथा ढ़ीला रह सकता है। बोल्ट को कस के लगाए नही तो ढीले होने के बाद पूरा ड्रायर खराब होने की आशंका रहेगी।

मल्टी प्रपज जीरो एनर्जी विषाल कोल्ड स्टोर :-

उद्देष्य – गाँव गाँव में, खेत खेत पर कम लागत के बहु उपयोगी। मल्टी प्रपज जीरो एनर्जी विशाल कोल्ड स्टोर जैसी तकनीक दे कर तेज गर्मी में फ्रेश सब्जी, फूल, फल, दूध, दही, घी, मख्खन, और महंगे बीज की गुणवत्ता को बनाये रखने और मशरूम के उत्पादन के लिए आवश्यक सूक्ष्म जलवायु की निर्मित हेतु ऐसे कोल्ड स्टोर बना कर कृषक की आय को बढ़ाना।
मल्टी प्रपज जीरो एनर्जी विषाल कोल्ड स्टोर का आकार व तकनीकी रचना – 10 फीट लँम्बा, 10 फीट चैड़ा, 8 फीट गहरा, जिससे ऊपर 4 फीट की दोहरी दीवार से ऊँचा विशेष डिजाइन से तैयार किया है। इसके लिए ईटो का उपयोग यहाँ सस्ता पड़ता है। इस दोहरी दीवार के मध्य बजरी, रेत भर दी जाती है। समय समय पर इसको गीला कर दिया जाता है ताकि अन्दर नमी और ठंड़क बनी रहे।
विषेष बात – बिना किसी ऊर्जा के द्वारा इस तंत्र के वातानुकूलित सिस्टम में किसान सब्जी, फूल, फल औषधि बीज, दूध, दही, मख्खन, घी रखेगा तो खराब नहीं होगी, साथ ही अभी तेज गर्मी में मशरूम का उत्पादन शुरू करना है तो ये बेहतरीन विकल्प है। इसके ऊपर धान की पराल का छप्पर लगा रखा है, छप्पर के चारों और गिलोय चढ़ा रखी है। जो अतिरिक्त आय का साधन है।
लागत – स्थानीय व्यवस्था अनुसार लागत सभी जगह अलग है, फिर भी अनुमानित लागत 10000 रूपये है।
सावधानी –
बरसात के समय में हाड़ौती क्षेत्र में जल स्तर ऊपर आता है तो यह नीचे का भूभाग काम नही लेते है।
नमी ज्यादा होने पर हवादार पंखा लगाना होना।
ऊपर दोहरी दीवार में हवा के आवागमन हेतु रोशनदान जरूर रखे।
निर्माण सामग्री की गुणवत्ता बेहतरीन होनी चाहिए नही तो नुकसान हाने का भय रहता है।